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कड़वी तोरई के फायदे एंव औषधीय गुण | Benefits and medicinal properties of Bitter Luffa in Hindi

कड़वी तोरई के फायदे एंव औषधीय गुण | Benefits and medicinal properties of Bitter Luffa in Hindi
कड़वी तोरई के फायदे एंव औषधीय गुण | Benefits and medicinal properties of Bitter Luffa in Hindi

कड़वी तोरई (Bitter Luffa)

नाम – कड़वी तोरई, जंगली तोरई, तिक्त कोशातकी, महाजाली।

उपयोगी अंग- फल एवं बीज ।

परिचय- यह एक बड़ी सूत्रारोही लता होती है। काण्ड पांच धार वाला। पत्ते पंजाकार पांच कोने वाले, खुरदरे तल प्रदेश से, हृदयाकृति पुष्प छोटे, पीले रंग के फल कड़वा, बीज काले तथा गोल होते हैं।

स्वाद- तीखा ।

गुण-फल- तिक्त वामक, मूदुरेचक, उष्ण, भेदक, हृदय बल्य। दीपन, वातहर, व्रण शोधन, विषघ्न।

बीज- कफघ्न तथा ग्राही होते हैं।

उपयोग- इसका फल कफ, पित्त, पाण्डुरोग, विषदोष, यकृत रोग, कुष्ठ, अर्श, खांसी, उदर रोग में लाभदायक है। कामला में इसके फलों को सुखाकर चूर्ण बनाकर नाक के छिद्रों द्वारा सूंघने से छींक आयेगी, इससे पीले रंग का नाक से प्रवाही निकलेगा। छींकें आने पर घी को सूंघना चाहिए (तीन रोज तक यह क्रिया करनी चाहिए)। कड़वी तोरई में लेण्डी पीपल और राई चूर्ण भरकर इसको अग्नि पर जलाकर, इसकी राख का नस्य लेने से फायदा होता है। हड़काया (बदन में रह-रहकर दर्द उठना) श्वान दंश में पकी कड़वी तोरई की रेशायुक्त जाली को पीसकर, पानी में एक घंटे तक भिगोकर रखें, उसके पश्चात् मसलकर छान लें। शक्ति अनुसार पांच दिन तक सुबह पिलाने से उल्टी तथा दस्त होकर विष निकल जायेगा। (वर्षा ऋतु बीतने तक रखे हुए फल प्रयोग करना चाहिए।) दंतकृमियों में कड़वी तोरई (फल) के छिलके दांतों के नीचे रखने से फायदा होता है। अर्धावमेदक (आधाशीशी) में इसके कड़वे फल का चूर्ण कर थोड़ा एवं सतर्कता पूर्वक सूंघने से नाक में से जल की धारा बहने लगेगी, जिससे रोग मिट कर फायदा होगा।

मूलव्याधि (हरस) में इसके कड़वे फल का चूर्ण पीड़ित जगह पर घिसने से, जल स्वरूप प्रवाही बहकर मुख अर्श मिट जाता है। जहर में इसके कड़वे फल का क्वाथ बनाकर इसमें घी मिलाकर पिलाने से वमन होकर जहर बाहर निकल जाता है। गले के रोग में कड़वी तोरई के चूर्ण को हुक्के में डालकर धूम्रपान करने से से लार निकलेगी, फिर फौरन कंठ खुल जायेगा। अतिदूषित गण्ड एवं व्रण में इसके कड़वे फलों का उपयोग अति लाभदायक है। इसके रस से व्रण के गण्ड (दूषित) को धोने से शुद्धि होकर सूख आयेगी। अल्पमात्रा में इसके फलों के सेवन से भूख लगती है, दस्त साफ होते हैं एवं उदर के अवयवों की क्रिया में सुधार होकर मध्यम मात्रा में जुलाब लगेगा। मूत्र की मात्रा बढ़ जाएगी।

हिम तैयार करने के लिये कड़वी तोरई के बीज रहित फल को (दो तोला) 50 तोला ठण्डे जल में एक घंटे तक भिगोकर छान लें। (एक से दो औंस)। बच्चों की यकृत वृद्धि में हिम अथवा फांट (कड़वी तोरई का) के सेवन से फायदा होता है।

मात्रा- हिम एक से दो औंस। फांट एक से दो औंस।

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