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मंजीठ मंजिष्ठा (Madder Root) के फायदे एंव औषधीय गुण

मंजीठ मंजिष्ठा (Madder Root) के फायदे एंव औषधीय गुण
मंजीठ मंजिष्ठा (Madder Root) के फायदे एंव औषधीय गुण

मंजीठ मंजिष्ठा (Madder Root)

प्रचलित नाम – मंजीठ / लोहित लता।

उपयोगी अंग – मूल तथा कांड।

परिचय- यह एक बहुवर्षीय चिरस्थाई क्षुप जैसी लता होती है, जिसकी शाखाएं चौपहल, हर संधि पर चार पत्ते, उसमें दो छोटे, दो बड़े होते हैं। इसके फूल सफेद तथा गुच्छों में होते हैं।

स्वाद- तीखा, कषाय ।

उपयोगिता एवं औषधीय गुण

ग्राही, रक्तशोधन, बल्य, गर्भाश्य संकोचन, शोथहर, मूत्रल, व्रणरोपण, कीटाणुघ्र, कैंसरशामक, ज्वरघ्न, विषघ्न। इसकी कांड का प्रयोग कोबरा नागदंश, बिछुदंश, में लाभदायक समझा जाता है। इसके मूल का प्रयोग अंगघात, मूत्रघात, कामला, अश्मरी, रक्तार्श प्रमेह, चर्मरोग, छाती शोथ में, राजयक्ष्मा फक्का (सूखा रोग), दुर्गंधयुक्त अतिसार, फुफ्फुसारवरण शोथ, अर्श, कुष्ठ, आंखों के रोग, योनिदोष, में लाभकारी होता है। मंजिष्ठा मेह में, मंजीठ के रंग जैसा लाल मूत्र आता हो तो इसके मूल और सफेद चंदन का क्वाथ पिलाने से फायदा होता है। दाद एवं श्वित्र में इसके मूल को शहद के साथ घिसकर लगाने से फायदा होता है। अस्थिभग्न में इसके मूल, अर्जुन एवं मुलैठी का क्याथ पिलाया जाता है और इसी का लेप भी किया जाता है। लेप के लिए इन तीनों को महीन पीस लें। यह पट्टी पर रखकर मलहम के रूप में लगाने लायक दिखने लगे तो शति ग्रस्त भाग पर बांधें। अश्मरी में मंजीठ के मूल का चूर्ण एक माशे की मात्रा में दिन में तीन बार देने से सभी तरह की पथरी गलकर निकल जाती है। यकृत रोग में इसके फल का प्रयोग करने से इस रोग में फायदा होता है। इसके मूल क्वाथ प्रसव में, जल्दी और कष्टरहित प्रसव कराने में देते हैं।

मात्रा – मूल का चूर्ण दिन में तीन बार-1 से 3 माशा की मात्रा में।

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