शंखाहुली (Shankh Pushpi)
प्रचलित नाम- शंखाहुली / शंखपुष्पी ।
उपयोगी अंग – पंचांग, मूल, पत्र एवं फूल
परिचय- यह प्रसरशील छोटा गुल्म होता है, शाखाएं रोमश, फूल सफेद रंग के होते हैं।
स्वाद- तीखा ।
उपयोगिता एवं औषधीय गुण
मेंध्य, मृदुरेचन, दीपन, कृमिघ्न, उद्वेष्टनोधि ।
हृदय तथा मेंधा पर असरकारक, रक्त दाब पर एसिटिल कोलोनीन का निश्चित प्रभाव रहता है। रक्त दाब तथा तनाव शामक स्मृति वर्धक, थाइराइड के ज्यादा स्राव पर प्रभावी असर, मानस रोग अपस्मार, उन्माद तथा जहर में लाभकारी।
पंचांग का ताजा स्वरस उन्माद में लाभदायक। पंचांग का फांट बुखार में निन्द्रा के लिए पत्तों का धूम्रपान जीर्ण कास तथा श्वासरोग में लाभकारी। ऊर्ध्वग रक्त पित्त में-मुख या नासिका से रक्तस्राव होता हो, तो इस में काली शंखाहुली का पांच ग्राम चूर्ण दूध में शर्करा मिलाकर पिला देना चाहिए, आहार में दूध का सेवन खास रूप से करना चाहिए।
वमन में इसके पंचांग को दो चम्मच रस में एक चुटकी काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर शहद के साथ बार-बार पिलाने से वमन का नियंत्रण रहता है।
बुद्धिमांध में मेधा (ग्रहण शक्ति) शक्ति बढ़ाने के लिए ५ ग्राम इसके पंचांग का चूर्ण दूध में मिलाकर लेते रहने से इसमें ज्यादा लाभ होता है।
पागलपन में इसके पंचांग का स्वरस दो चम्मच इसमें शहद मिलाकर सेवन करते रहने से (रात एवं प्रातः लम्बे समय तक) पागलपन दूर हो जाता है। हिस्टीरिया-इसके पंचांग का पांच ग्राम चूर्ण दूध के साथ सुबह तथा रात्रि समय सेवन कराना चाहिए अथवा इसके पंचांग का छाया शुष्क चूर्ण एक तोला सौंफ- १/४ तोला, इन सबको एकत्रित कर सिल-बट्टे पर अच्छी प्रकार घोंटकर महीन कल्क बना लो। इसमें १०० मि. ली. दूध मिलाकर अच्छी प्रकार मसल लेना चाहिए। इसको (दूध के साथ) छानकर मिश्री मिलाकर सेवन कराना चाहिए। इससे मेंधा शक्ति में बढ़ोत्तरी होती है। अगर इसमें ताजी मण्डुकपर्णी एक तोला मिलाई जाए तो अधिक फायदा होता है।
विशेष- शैक्षणिक संस्थाओं में शिक्षण प्राप्त करते बच्चों को हमेशा शंखपुष्पी का चूर्ण दूध के साथ, शंखपुष्पी का सिरप या घी का सेवन कराते रहना चाहिए यह औषधि निर्दोष होने की वजह से थोड़ी या अधिक मात्रा में हमेशा सेवन से किसी तरह की हानि नहीं होती।
मात्रा – स्वरस – 2 से 4 तोला । चूर्ण-3 से 6 माशा। फांट-4 से 8 तोला ।
इसे भी पढ़ें…
- अकरकरा (Pellitory Root) की उपयोगिता एवं औषधीय गुण
- अतिबला (Horndeameaved Sida) की उपयोगिता एवं औषधीय गुण
- चिरचिरा (Roughchafftree) की उपयोगिता एवं औषधीय गुण
- अमरूद (Guava) की उपयोगिता एवं औषधीय गुण
- अफीम (Opium) की उपयोगिता एवं औषधीय गुण
- अनन्नास (Pineapple) की उपयोगिता एवं औषधीय गुण
- अनन्त मूल (Indian Sarsaprila) की उपयोगिता एवं औषधीय गुण
- आर्द्रक शुण्ठी (Ginger Root) की उपयोगिता एवं औषधीय गुण
- अतिविषा (Indian Attes ) की उपयोगिता एवं औषधीय गुण
- अडूसा (Atotonda Vasica) की उपयोगिता एवं औषधीय गुण
- अर्जुन (Terminelia Arjun) की उपयोगिता एवं औषधीय गुण
- अपराजिता (Megrin) की उपयोगिता एवं औषधीय गुण
- अजमोदिका (Bishops Weed Seed) की उपयोगिता एवं औषधीय गुण
- अकलबेर (Indian Shot) की उपयोगिता एवं औषधीय गुण
- अरंडी (caster oil) की उपयोगिता एवं औषधीय गुण
- अखरोट (Walnut) की उपयोगिता एवं औषधीय गुण
- आलू (Potato) की उपयोगिता एवं औषधीय गुण
- आलूबुखारा (Bokhara) की उपयोगिता एवं औषधीय गुण
- अम्लवेत (Common Soral) की उपयोगिता एवं औषधीय गुण
- अरहर (Pigeonpea) की उपयोगिता एवं औषधीय गुण
- अरबी (Greatleaved Caldeium) की उपयोगिता एवं औषधीय गुण
- अलसी (Linseed) की उपयोगिता एवं औषधीय गुण
- आस (Myrtus Commnuis) की उपयोगिता एवं औषधीय गुण
- ओखराढ्य (Molluga Hirta) की उपयोगिता एवं औषधीय गुण
- अमरबेल (Cuseutriflexa) की उपयोगिता एवं औषधीय गुण
- अनार (Pomegranate) की उपयोगिता एवं औषधीय गुण